सुप्रीम कोर्ट ने कहा बच्चों की सगाई कराना भी गैरकानूनी, संसद को इसपर विचार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि बच्चों की सगाई करना न केवल नीतिका है बल्कि यह भारतीय कानून के तहत भी गैर कानूनी है कोर्ट ने संसद से इस मुद्दे पर विचार करने को कहा है कानून में आवश्यक बदलाव करने की भी पेशकश की गई है ताकि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा निश्चित हो सके
फैसले की मुख्य बातें
बच्चों की सगाई गैर कानूनी है
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है की नाबालिक बच्चों की सगाई करना चाहे सामाजिक परंपरा के नाम पर हो या किसी अन्य कारण से हो बाल अधिकारों का उल्लंघन करना यह बच्चों के भविष्य और शिक्षा से जुड़े नकारात्मक प्रभाव डालता है ऐसा नहीं होना चाहिए
बाल विवाह से जुड़ा मामला
कोर्ट ने बाली बनी से अधिनियम 2006 का उल्लेख करते हुए कहा कि बाल विवाह की तरह बच्चों की सगाई भी उनके अधिकारों का हनन है बाल विवाह से बचने के लिए जिस तरह से कड़े कानून बनाए गए हैं इस तरह की शक्ति बच्चों की सगाई के मामले में भी होनी चाहिए ताकि समाज में किसी भी तरह की गलत संदेश न पहुंचे
संसद को दिया गया सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने संसद से कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार करें और मौजूदा कानून में संशोधन करें अदालत का मानना है कि बच्चों की सगाई की परंपरा को रोकने के लिए कानूनी व्यवस्था स्पष्ट होने चाहिए और कड़े प्रावधान होने चाहिए
शिक्षा और विकास पर असर पड़ेगा
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि बच्चों को शिक्षा और उनके व्यक्तिगत विकास के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है सगाई जैसे मामले में उनके मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ा पहुंचता है इसलिए ऐसा नहीं होना चाहिए
समाज और सरकार की जिम्मेदारी क्या है
आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा समाज और सरकार दोनों से निवेदन है कि वह बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए मिलकर काम करें बच्चों की सगाई जैसी परंपराओं को खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए और सख्त से सख्त कानून बी लागू करना जरूरी है तभी समाज सुधरेगा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महत्व क्या था
बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करना या फैसला बच्चों के शिक्षा विकास और स्वतंत्रता के अधिकारों को मजबूत करने में सहयोग प्रदान करेगी
समाज में मौजूद ऐसी परंपराओं का पर सवाल उठाने की जरूरत है जो बच्चों के भविष्य को प्रभावित करती है
संसद को दिए गए सुझाव से बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए अधिक प्रभावी कानून बनाने की उम्मीद की जा सकती है
सुप्रीम कोर्ट के सत्य निर्देश के बाद आगे क्या होगा
इसके बाद संसद को यह तय करना होगा कि बच्चों की सगाई को रोकने के लिए मौजूदा कानून में क्या परिवर्तन किया जाता है इसके साथ ही समाज और अन्य संगठनों को इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी निभानी होगी
आत्मकता देता है बल्कि समाज को भी यह संदेश देता है कि बच्चों के जीवन के साथ ऐसा निर्णय लेना पूरी तरह से सरासर गलत है इससे बच्चों के भविष्य पर प्रभाव पड़ता है
आगे चलकर बच्चे अपने भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं कर पाते हैं इसलिए बच्चों के साथ ऐसी नाइंसाफी नहीं करना चाहिए जब तक बच्चे जिम्मेदार न हो जाए तब तक सगाई वाले हम फैसला किसी भी घर वाले को अपने बच्चों को इस जंजीर में नहीं बांधनी चाहिए