What is so special about these plums that they are in demand in India and abroad, there are 42 varieties

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Agency:News18 Rajasthan

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काजरी में 42 वैरायटी के बेर उगाए जाते हैं, जिनकी मार्केट में उच्च मांग है। गोला और सेब वैरायटी प्रमुख हैं। बेर में विटामिन सी, बी कॉम्प्लेक्स और अन्य पोषक तत्व होते हैं।

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काजरी

काजरी की खास बेर जिनकी हर जगह डिमांड

हाइलाइट्स

  • काजरी में उगाए जाते हैं 42 वैरायटी के बेर
  • गोला और सेब वैरायटी की है हाई डिमांड
  • बेर में है विटामिन सी और बी कॉम्प्लेक्स

 पाली. बेर का नाम आता है तो आपके दिमाग में छोटे से बैर की तस्वीर दिमाग में आएगी मगर आपको बता दें कि केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान यानी की काजरी में 42 वैरायटी के ऐसे बेर पैदा किए जाते है जिनकी मार्केट में डिमांड काफी अधिक बढ़ जाती है. काजरी के बेर की स्वाद व गुणवत्ता के कारण विभिन्न वैरायटियां मारवाड़ ही नहीं पूरे देश तक पहुंच हो गई है.

पैदा की गई बेर की 42 वैरायटी  
काजरी में बेर का उत्पादन दिसम्बर अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाता है और मार्च तक चलता है. अच्छी बारिश व मौसम से इस बार काजरी के बेर का अच्छा उत्पादन है, जो गत वर्ष से ज्यादा है. बेर का उत्पादन मार्च तक होगा व शिवरात्रि तक डिमाण्ड ज्यादा रहेगी. विशेष बात यह है कि बेर की 42 वैरायटी पैदा की गई है. इसमें गोला व सेब वैरायटी की प्रमुखता है. इस वक्त जोधपुर पाली रोड से लेकर जगह-जगह इनकी बिक्री बडी संख्या में हो रही है जिनको लोग खरीद भी रहे है. इसको खाने से शरीर में इतने फायदे होते है जिसके कारण लोग इसको खाना पसंद करते है.

डिमांड इतनी की बोरियों से जगह-जगह पहुंचे बैर
उत्पादन अच्छा होने के साथ काजरी के बेर काजरी के बाहर खुले बाजार में बिकना शुरू हो गए है, और लोगों की भी काजरी के बेर को लेकर अधिक मांग है. काजरी की ओर से इस बार की गई नीलामी में भी अब तक के इतिहास में सर्वाधिक राशि मिली है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने का करता है काम
बेर में विटामिन सी, बी काम्पलेक्स, कार्बोहाइड्रेट सहित कई पोषक तत्व होते हैं. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी गुण होता है जिसके चलते यह शरीर के घाव को जल्दी भरने में मदद करता है.

गोला बेर की रहती है सबसे ज्यादा डिमांड
खास कर काजरी के गोला बेर की डिमांड सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा इन दिनों काजरी में बेर की नई किस्म ‘कश्मीरी एपल’ भी तैयार किए जा रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में लाल बेर का स्वाद भी लोग ले सकेंगे.काजरी बेर का व्यवसाय करने वाले प्रवीण ने कहा कि बेर ऐसी फसल है जिसे शुरुआत में तीन साल पानी देने के बाद पूरी तरह से बारिश के भरोसे छोड़ दिया जाता है. बारिश के पानी से ही यह फसल आसानी से प्राप्त की जा सकती है. शुष्क क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए बेर की खेती काफी फायदेमंद होती है. काजरी में अब तक 42 किस्म के बेर का उत्पादन किया जा चुका है. हम इसको मार्केट में बेचते है काफी इसकी डिमांड रहती है. यहां से राजस्थान ही नही बल्कि अन्य राज्यो में बैंगलोर इत्यादि में भी एक्सपोर्ट हम कर रहे है.

किसानों के लिए लाभदायक फसल
बेर की खेती के लिए काजरी किसानों को प्रोत्साहित करता है. बड़ी जोत वाले खेत के किसानों को अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न किस्म के बेर लगाने के लिए कहा जाता है जिससे अन्य फसलों के साथ इसकी फसल से भी उनको नकदी मिलती रहे. इसके अलावा जिन किसानों के पास छोटे खेत होते हैं उनको बेर के बाग लगाने के लिए कहा जाता है. इसमें 50 से 60 पौधे लगाकर वे सालाना अच्छी फसल ले सकते हैं. इसके अलावा मार्च के बाद पेड़ सूखते नहीं है. इनकी कटाई-छंटाई कर पशुओं के लिए चारा तैयार किया जा सकता है जो काफी लाभदायक होता है.

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आखिर क्यों है इस खास बेर की देश-विदेश में डिमांड, 42 तरह की है वैरायटी

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